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  • Writer's pictureDr. P.K. Shrivastava

डेयरी व्यवसाय में कदम रखने के पहले सुरक्षा बिन्दुओं की जांच कर लें

Updated: Nov 21, 2022

अकसर यह सुनने में आता है कि हमने डेयरी का व्यवसाय खोला था और उसे बंद करना पड़ा, क्यूंकि हम उसे चला नहीं पाए । किसी भी ब्यवसाय में रिस्क तो होता ही है, यह कोई नई बात नहीं है। डेयरी भी एक व्यवसाय है तो इसमें भी रिस्क तो होगा ही।

परंतु व्यथा यह है कि हालाँकि यह व्यवसाय पूर्ण रूप से तकनीकि से भरा हुआ है और इसकी शुरुआती लागत भी ज्यादा होती है, इसका उत्पाद भी जल्दी खराब हो जाने वाला है, फिर भी इसमें कदम रखने से पहले शायद ही कोई डेयरी व्यवसायी अपने सुरक्षा बिंदुओं की जांच करता होगा। व्यवसाय के सुरक्षा बिन्दु वह होते हैं, जिनकी ओर ध्यान देकर व्यावसायिक हानि रोकी जा सके।

  • क्या किसी हवाई जहाज के उड़ान भरने से पहले उसकी सुरक्षा बिंदुओं की जांच नहीं की जाती?

  • क्या आप गूगल में देखकर वाहन चलाना सीख जाते हैं? या आपको वास्तव में वाहन पर बैठकर किसी वाहन चलाने वाले की सहायता लेकर उसे ठीक से चलाना सीखना पड़ता है?

  • क्या आप लाखों की लागत के तकनीकी व्यवसाय को बिना उस व्यवसाय के मूल-मंत्र सीखे शुरू कर देंगे?

  • क्या आपने किसी मेकैनिक को सूट-बूट-टाई पहनकर गाड़ी ठीक करते देखा है?

  • क्या आप बिना 'बैरे' और 'कुक' के इंतेजाम के ही रेस्टोरेंट व्यवसाय शुरू कर देंगे, कि खाना बनाना तो यू-ट्यूब से सीख लेंगे?

  • क्या आप अपने स्वास्थ के लिए गूगल से पढ़ कर दवा लेते हैं या किसी डाक्टर को दिखा कर उसके सलाह से दवा लेते हैं?

  • क्या आप गहरे पानी में घुसने से पहले उसकी गहराई के बारे में नहीं जानना चाहेंगे? या किसी तैराक की सहायता लेना नहीं चाहेंगे?

  • बाप-दादा के व्यवसाय को क्या उनके बच्चे केवल इस लिए चला पाते हैं कि ये उनके बाप दादा का पुराना व्यवसाय है? या वो बचपन से ही उस व्यवसाय में लगे रहकर उसके “गुर” सीखने के बाद ही स्वयं चलाने का निर्णय लेते हैं?

गूगल या यू ट्यूब या जो भी सामाजिक-संचार या जानकारी के आदान-प्रदान के माध्यम आज उपलब्ध हैं, वहाँ केवल जानकारियाँ मिलतीं हैं, स्किल (दक्षता) नहीं मिलती। गूगल से आपको मार्ग का नक्शा मिलता है। क्या आप बिना चले अथवा वाहन चलाए अपने गंतव्य तक पहुँच जाएंगे? चलना या चलाना तो खुद ही पड़ता है। यदि मार्ग में गड्ढे हैं तो उनसे अपने को बचाना भी खुद ही पड़ता है, न कि आपको गूगल बचाता है।


यह तो हमारी खुशनसीबी है कि आज इतनी जानकारियाँ जन-साधारण को आसानी से उपलब्ध हैं, जिनसे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। परंतु हमें “सीखना” तो पड़ेगा ही। इसी प्रकार, हमें उपरोक्त मीडिया से जानकारी लेनी तो चाहिए, परंतु यदि मात्र इन्हीं जानकारियों के आधार पर किसी व्यवसाय में हाथ डाला तो नुकसान के दोषी आप होंगे न कि वो व्यवसाय ।


उपरोक्त से यह तो पता चल गया होगा कि किसी भी व्यवसाय को उसके गुरुओं से “गुर” सीखने और “गुरु-दक्षिणा” देने के बाद ही शुरू करना उचित होता है, वरना डूबने की संभावना बनी रहती है। खास तौर पर तब जबकि व्यवसाय तकनीकी हो, ज्यादा लागत वाला हो और जिसका उत्पाद शीघ्र खराब हो जाने वाला हो, जैसे की डेयरी व्यवसाय । यह व्यवसाय तकनीक से चलता है, ज्यादा लागत वाला है और दूध एक शीघ्र खराब हो जाने वाला वस्तु है। ऐसे में आपके पास कोई रास्ता नहीं बचता। बिना किसी गुरु से “गुर” (दक्षता की सीख) लिए यदि डेयरी व्यवसाय में आप हाथ डालते हैं तो समझ लीजिए कि आप व्यावसायिक नुकसान के लिए नीव रख रहे हैँ । और हाँ, डेयरी गुरु भी “दक्ष” होना चाहिए, यानी उसे भारतीय डेयरी व्यवसायों के भौतिक, आर्थिक, व्यवसायिक आयामों की जानकारी होनी चाहिए । यदि गुरु दक्ष न हो तो सिखाएगा क्या?


ज्यादातर लोग अपने डेयरी व्यवसाय के लिए, एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवा लेते हैं और व्यवसाय चलाने के लिए गूगल, यू-ट्यूब, व्हाट्सअप की जानकारियों पर भरोसा कर लेते हैं। हमने देखा है लोग डेयरी कॉनसल्टेंट की फीस से घबराते हैं। विश्वास करें यदि डेयरी कॉनसल्टेंट “दक्ष” होगा तो वो आपको अपने फीस से तीन गुना लाभ दिलवा सकेगा या कई गुना आपका धन बेकार होने से बचा पाएगा।


डेयरी व्यवसाय कई प्रकार के होते हैं, यहाँ हम मुख्य दो प्रकार के व्यवसायों की चर्चा कर रहे हैं:

(1) डेयरी फार्म, जहाँ दूध का उत्पादन पशु पालकर किया जाता है और उसका विपणन किया जाता है;

Source: https://www.shutterstock.com/image-photo/cattle-shed-rural-india-1055548175


(2) जहाँ उत्पादकों से दूध उपार्जित करके विधायन करने के बाद विपणन किया जाता है।


Source: Picture from India Mart

हमने दोनों प्रकार के डेयरी व्यवसायों के लिए नए डेयरी एन्टरप्रेनर में अकसर पाए जाने वाले भ्रमों की व्याख्या करने की कोशिश की है। यहाँ हमारा उद्येश्य सिर्फ इतना है कि आप डेयरी व्यवसाय किसी भ्रम को लेकर न शुरू करें, बल्कि किसी दक्ष डेयरी कॉनसल्टेंट से अपने भावी व्यवसाय के बारे में राय लेकर योजना-बद्ध तरह से ही शुरू करें। ताकि आपको सही मार्ग मिले, आपका धन व्यर्थ होने से बच जाए। यहाँ दुहराना चाहूँगा कि डेयरी व्यवसाय एक सतत चलने वाला और लाभ देने वाला व्यवसाय है। इसे किसी ज्ञाता डेयरी कॉनसल्टेंट से पूरी प्लानिंग करवा के ही शुरू करना चाहिए ।


डेयरी व्यवसाय के सुरक्षा बिन्दु, वास्तव में हमारी अधूरी जानकारियाँ या हमारे भ्रम ही होते हैं, जो निमन्वत हो सकते हैं:


1) डेयरी व्यवसाय को हम अच्छी तरह से जानते हैं: (भ्रम 1): आपका यह भ्रम कि “डेयरी व्यवसाय को आप बचपन से चलते देख रहे हैं और निश्चित ही इसे आप लाभ में चला पाएंगे“ - आपको डुबाने के लिए काफी है। फिर यह भ्रम कि हमारे घर में सदियों से दुग्ध पालन चलता रहा है और अब तो हमने उपरोक्त मीडिया से ज्ञान भी प्राप्त कर लिया है, आपके भ्रम को और मजबूत कर देता है और आप गहरे पानी में छलांग लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं। भ्रम में रहकर डेयरी व्यवसाय शुरू न करें, अपने भ्रम को दूर करके ही डेयरी व्यवसाय में हाथ डालें ।


2) गाय-भैंसों को पालना हमें आता है: (भ्रम 2): आपने शहरों में सड़ांध और अंधेरी जगह पर पल रही भैंसों और गायों को देखा होगा। जो अकसर केवल एक व्यांत के लिए ही रखी जातीं हैं। या आपने अपने गाँव में 2-4 जानवरों को पालने वाले किसानों को देखा होगा, जो इन पशुओं को अपने खेती से उत्पन्न चोकर-चुनी खिलाकर, थोड़े बहुत चारे खिलाकर, उन्हें चराकर और अपना लेबर लगाकर पालते हैं। उन्हे देखकर कृपया अपने तकनीकी डेयरी फार्म की कल्पना कभी भी न करें। यह व्यवसाय नहीं, बल्कि खेती के साथ चलाया जाने वाला पशुपालन है, जिसे आपने एक व्यावसायिक फार्म समझ लिया है।


3) गूगल, यू-ट्यूब और व्हाट्सअप पर बहुत जानकारियां उपलब्ध हैं: (भ्रम 3): गूगल पर अकसर विदेशी डेयरी व्यवसायों की जानकारियाँ रहतीं हैं। विदेशों में डेयरी व्यवसाय बिल्कुल अलग तरह से किया जाता है। उन जानकारियों के, जो अलग परिस्थियों, संसाधनों, कानूनों के प्रविधानों के अधीन होतीं हैं, आधार पर भारतीय डेयरी व्यवसाय नहीं चलाया जा सकता है। यू-ट्यूब और व्हाट्सअप पर भारतीय डेयरी की अकसर अधूरी जानकारियाँ मिलतीं तो हैं, परंतु उनपर आपको भरोसा नहीं करना चाहिए। आपके व्यवसाय का क्या स्वरूप होगा, कितना बड़ा व्यवसाय होगा, कितना व्यय होगा, कितना औटोमशन, यह व्यावसाय किस स्थान पर होगा, वहाँ बाज़ार की स्थिति क्या है या कॉम्प्टीशन कितना है, आपके पास संसाधन क्या हैं, आदि की जानकारी आपको होगी या एक "दक्ष-डेयरी-कॉनसल्टेंट" को होगी, उपरोक्त गूगल या उयू-ट्यूब को नहीं। तो आप सोंचें, भला आपके व्यवसाय की प्लानिंग इन मीडिया पर कैसे मिलेगी? आपके द्वारा बताए गए जानकारीयों के आधार पर कोई जानकार डेयरी कॉनसल्टेंट ही आपके व्यवसाय के लिए बजट बना सकता है, सही सलाह दे सकता है या एक उचित व्यवसाय मॉड्यूल बता सकता है।


4) मैं लीज के जमीन पर अपना फार्म चलाऊँगा: (भ्रम 4): जमीन यदि आपके अपने नाम नहीं हो तो कभी भी व्यावसायिक डेयरी फार्म न खोलें। कम से कम 1 एकड़ जमीन जानवरों को रखने के लिए और @10 जानवर प्रति एकड़ चारा उगाने के लिए जमीन हो तो फार्म खोलें, निश्चित लाभ होगा। बिना जमीन के किराये के शेड में खटाल चलाया जा सकता है, फार्म नहीं। यदि जमीन आपके नाम नहीं है तो आपको बैंक से लोन मिलना कठिन है। चारा उगाने के लिए जमीन लीज़ पर ली जा सकती है, अथवा चारा किसानों से उगवाकर डेयरी चलाई जा सकती है। खरीद कर चारा या फीड खिलाना बहुत महंगा पड़ता है।


5) पहले शेड में खर्च करना आवश्यक है, जानवर बाद में ले आएंगे: (भ्रम 5): “हम सब कुछ जानते हैं”, का भ्रम आपको उपरोक्त मीडिया ने दे दिया है। जबतक आपको यह नहीं पता कि पहले किस काम पर और बाद में किस काम पर धन खर्च करना है, तो समझ लें आप अभी अपरिपक्व हैं। कई लोग पहले बढ़िया शेड बनाने में इतना धन खर्च कर देते हैं कि बाद में जानवर और अन्य चीजें खरीदने के लिए धन ही नहीं बचता। ऐसे लोग हमें अकसर मिलते रहते हैं।


मेरे एन.डी. डी. बी. के एक साथी ने अपने रिटायरमेंट का सारा धन शेड में खर्च कर दिया, उनके पास गाय खरीदने के लिए धन ही नहीं बचा। दूध तो गाय को देना है शेड तो दूध देगा नहीं। शेड बनाने के बाद उन्होंने हमें बताया। पहले बताते तो मैं कुछ कर सकता था। उन्हें बैंक से लोन भी नहीं मिला । वो तो अच्छा हुआ की उनकी जमीन ने पैसा वापस कर दिया, शेड और जमीन दोनों नुकसान में बिक गए । अब ऐसे भ्रमित व्यवसायी को किस प्रकार की कॉनसल्टेंसी दी जा सकती है?


6) मेरे फार्म पर 30-40 लीटर दूध देने वाली गाय या भैंस रहेगी: (भ्रम 6): ज्यादातर नये व्यवसायी इस प्रकार की बातें करते हैं। मैं उन्हें समझाता हूँ कि ये मात्र एक दिवास्वप्न है, यथार्थ नहीं। आम व्यवसायी तो साधारण गायों को भर पेट चारा-दाना दे नहीं पाते, 30-40 लीटर की गाय को क्या खिलाएंगे? बड़े बड़े सरकारी फार्म पर भी इस प्रकार के जानवर देखने को नहीं मिलते, आपके फार्म पर कैसे इस प्रकार के जानवर पलेंगे? 12-15 लीटर के जानवरों से व्यवसाय शुरू करें और उन्हे 20-25 लीटर तक लेकर जाएँ, यदि आप उन्हे खिला पाएं तो, यही उचित रास्ता है ।


ग्वालियर में एक महिला ने रुपये 2.5 करोड़ अपने डेयरी फार्म में खर्च कर दिए थे। शेड और पार्क में करीब 1.50 करोड़ रुपये खर्च किया था और अब पशु 80 से घटकर 40 रह गए थे, जिनका दूध दिन प्रति दिन घटता जा रहा था। उन्होंने फार्म चलाने का जिम्मा लेबर पर छोड़ रखा था। तीन वर्षों बाद हमारे पास आयीं जब उनके पास हमारी फीस देने के लिए पैसे भी नहीं थे। उनके फार्म में पशुओं को खिलाने के लिए पैसे नहीं थे, जानवर बीमार पड़ते जा रहे थे। आप बताएं किसकी गलती थी, कौन दोषी है? डेयरी व्यवसाय या उस महिला द्वारा शेड और पार्क पर खर्च करने की ज़िद? मुझे उन्होंने बताया कि किसी ने उन्हे कॉनसल्टेंसी भी दिया था। ऐसा होता है जब हम “दक्ष डेयरी कॉन्सल्टेंट” से सलाह नहीं लेते।


7) हमें पता है प्रोजेक्ट रिपोर्ट में सब कुछ रहता है: (भ्रम 7): कई लोग हमारे पास आते हैं कि बस आप एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बना दीजिए, उसमें कॉस्ट ज्यादा रखिएगा, बाकी सब हम देख लेंगे। आप फिर एक भ्रम में हैं। आपको एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट इस लिए चाहिए, क्यूंकि उसके बिना आपको कोई आर्थिक सहयता नहीं मिलेगी। आप किसी (जानकार अथवा ना-जानकार) से एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाकर अपने उपरोक्त भ्रम को और मजबूत कर लेते हैं। कई लोग तो 3-4 पृष्ट का प्रोजेक्ट रिपोर्ट चार्टर्ड-एकाउंटेंट से बनवा लेते हैं, जिसे दूध में कितना फैट, कितना एस एन एफ, कितना प्रोटीन और कितना पानी होता है की जानकारी भी नहीं होती।


प्रोजेक्ट रिपोर्ट मूलतः एक “तकनीकी-व्ययसायिक” रिपोर्ट होता है, जो किसी खास प्रोजेक्ट के लिए ही बनाया जा सकता है। व्यवसायी को उसे पढ़ना और समझना पड़ता है। हमारा व्यक्तिगत अनुभव है कि करीब 90% व्यवसायी अपने प्रोजेक्ट रेपोर्ट को पढ़ते ही नहीं। उसे केवल एक ब्रह्मास्त्र समझ कर अपने पास रख लेते हैं कि उसे बैंक को प्रस्तुत करके हमें लोन मिल जाएगा। यह भी एक भ्रम है, क्यूंकि बैंक प्रोजेक्ट रिपोर्ट की जांच करके ही उसपर किसी प्रकार का निर्णय लेता है । मेरा अनुभव है कि करीब 60-70% प्रोजेक्ट रिपोर्ट बैंक द्वारा रिजेक्ट कर दिए जाते हैं। आपको एक “दक्ष डेयरी कॉन्सल्टेंट” से ही प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाना चाहिए, और कॉस्ट या रेविन्यू में कोई हेरा-फेरी नहीं करवाना चाहिए।


8) डेयरी व्यवसाय के लिए मशीनें जरूरी है: (भ्रम 8): आपके पास पहले से “डेयरी चलाने की जानकारी है” (उसे अपने मीडिया से ले लिया है), आपके पास अपने नाम की जमीन भी है, 5-6 पन्ने का एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी है, बस चारा उगाने के लिए जमीन नहीं है । अब आपका भ्रम और भी मजबूत हो चुका है कि आप डेयरी व्यवसाय चला लेंगे। अचानक आपका संपर्क एक डेयरी मशीन बनाने वाली कंपनी के व्यक्ति से होता है, जो मशीन बेंचने के लिए तैयार बैठा है और आप उसे खरीदने के लिए । योग मिल गया है (भ्रम में आप पहले से हैं)। हालाँकि आपको मशीनों की कोई जानकारी नहीं है, फिर भी आप बिना मशीनो के बारे में जानकारी लिए खरीद लेते हैं। जब मशीनें आ जातीं हैं तब आपको इस गलती का एहसास होता है, कि करीब करीब सभी मशीनें आपके व्यवसाय में तत्काल इस्तेमाल की नहीं हैं, ये सब बाद में काम आ सकेंगीं शायद, ये सोचकर आप इन्हे रख लेते हैं, परंतु आपका बटुआ खाली हो जाता है।


क्यूंकि अभी तो मुख्य एसेट (फार्म के लिए) जानवर, उन्हे खिलाने केलिए चारा, उन्हे रखने के लिए शेड फिर (दुग्ध प्रशीतन और विधायन (प्रोसेसिंग) के लिए मशीनें और दूध चाहिए, जिसके विषय में आपने कभी सोचा ही नहीं। मशीनें खाली तो चलेंगीन नहीं? फार्म में उपयोग के अनुसार मशीनें खरीदीं जातीं हैं या फिर दूध की मात्रा, विधायन और विपणन के अनुसार मशीनें खरीदीं जातीं हैं । मैंने कई नये व्यवसायियों के यहाँ पेटी बंद मशीनें देखीं हैं जिन्हे आधे या चौथाई दाम पर भी कोई खरीदता नहीं।

9) दूध रखने के लिए BMC जरूरी है: (भ्रम 9): BMC, एक बड़ा डब्बा है, जिसमें दूध ठंडा करके रखा जाता है। BMC रख लेने से कुछ लाभ नहीं होता, जबतक ये किसी विधायन (प्रोसेससिंग) फैक्ट्री से न जुड़ा हो, ये कोई खास उपयोगी नहीं है । मैं बैंक लोन से BMC खरीद कर डेयरी व्यवसात चलाने वाले एक व्यक्ति को जनता हूँ, जिसे बैंक ने 7 लाख लोन दिया, बाद में BMC और सभी एक्सेसरी बेंच कर 3 लाख कर्ज चुकाया गया और बाकी खेत बेंच कर अदा किया गया। यह व्यक्ति एक डेयरी में सूपर्वाइज़र था। नौकरी छोड़ कर एक अन्य व्यक्ति के साथ जुड़ कर दूध का व्यापार शुरू किया था । भ्रम में रहकर व्यसाय शुरू करने के बाद हमारे पास सहायता के लिए आया था। तब BMC, कैन आदि बेंचने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था, बैंक का लोन और दबाव दोनों बढ़ता जा रहा था। आप ऐसे भ्रम में ना रहें।


10) दूध उपार्जन और उसे बेचना बहुत आसान काम है: (भ्रम 10): अकसर सायकिल या मोटर सायकिल पर गाँव से दूध लाकर बाज़ार-कस्बे में बेंचते दूधियों को देखकर आपको लगता है दूध उपार्जन और बिक्री एक आसान काम है। सुबह केवल 2 घंटे समय दिया और पूरा दिन आराम। या फिर सहकारी डेयरी में फार्म का दूध दिया और आराम । आप दोनों सूरत में अनभिज्ञ हैं। फार्म का दूध सहकारी डेयरी में बेचना आपको लाभ नहीं देता बल्कि एक ट्रैडर बनाता है, आप चले थे व्यवसायी बनने बनकर रह गए दूध सप्लाई करने वाले। जब तक आप स्वयं दूध को उपभोक्ता तक नहीं पहुंचाते आप अपनी लागत ही निकाल पाएंगे, लाभ नहीं कमा पाएंगे । उपार्जन व्यवसाय में दूध की क्वालिटी और मात्रा (Volume) मायने रखता है।


दूध की खरीद उसके गुणवत्ता के आधार पर की जाती है, जिसका ज्ञान ज्यादातर डेयरी व्यवसायीयों को नहीं होता। फैट और एस एन एफ क्या है, पता नहीं होता, उसे निकालने की गणित और फार्मूला तो बहुत दूर की बात है।


दूध एक जल्दी खरब होने वाला वस्तु है, उसे थन से निकलने के बाद 2 घंटे में ही गंतव्य तक पहुँच जाना चाहिए, यह एक तकनीकी प्लैनिंग के अनुसार किया जाता है। बिना प्लैनिंग के दूध बेचना एक मुश्किल काम है, इसमें नुकसान की संभावना ज्यादा रहती है ।


11) हम डेयरी प्रोडक्ट बनाएंगे और बेचेंगे: (भ्रम 11): हमारे पास ऐसे सुपर-उत्साही व्यक्ति अकसर आते हैं। जिनके दिमाग में मीडिया ने पक्का कर दिया होता है कि डेयरी उत्पादों के व्यवसाय में अधिक लाभ है। यह सही है कि तरल दूध से उत्पादों के व्यवसाय में अधिक लाभ है। परंतु उत्पादों को बनाने के लिए मशीनें और रखने के लिए शीत गृह (कोल्ड स्टोर) आदि चाहिए । उन मशीनों का खर्च तो उठाना पड़ेगा, उसका ROI (रिटर्न ऑन इनवेस्टमेंट) तो देखना पड़ेगा। आप कितना पैसा लगा देंगे, और इतने छोटे पैमाने पर बनाया गया उत्पाद, जिसका अभी कोई ब्रांड नहीं है, किस दाम पर बेंचेंगे और कितना लाभ कमायेंगे? जब तरल दूध बेचना इतना मुश्किल है तो उत्पाद बेंचना तो और भी खर्चीला और मुश्किल काम होगा। तरल दूध की खपत उत्पाद से ज्यादा है, ये बहुत कम लोग समझ पाते हैं । जबतक डेयरी व्यसाय की पूरी प्लानिंग करके न देख लिया जाय, तब तक उत्पाद के विपणन की कल्पना नहीं करनी चाहिए।


तरल दूध बेचकर लाभ कमाना आसान होता है, उसमें भी तकनीकी प्लैनिंग की आवश्यकता पड़ती है। डेयरी व्यवसाय जादू की छड़ी से नहीं चलता, यह समय लेता है, कम से कम 5 वर्ष। तब आप इसमें पारंगत हो पाते हैं। यदि समय नहीं दे पायें तो डेयरी व्यवसाय न चुने।


12) हम ‘कफिर’, ‘योगर्ट’, ‘चीज़’, ‘डेज़र्ट’ बनाकर बेचेंगे: (भ्रम 12): छोटे पैमाने पर रेगुलर उत्पाद तो फिर भी कुछ लाभ दे पाते हैं, विदेशी उत्पाद की क्वालिटी रख पाना, एक अनजान डेयरी व्यवसायी के लिए दुर्लभ होता है । कोई भी अजनबी उत्पाद लेकर डेयरी व्यवसाय की कल्पना न करें, पहले डेयरी व्यवसाय चलाना सीख जायें उसके बाद प्रयोग की दुनियाँ में कदम रखें ।


13) हमने एक पुरानी डेयरी प्लांट खरीद लिया है, उसे चलाना है: (भ्रम 13): “हम सब कुछ जानते हैं”, से भ्रमित व्यक्ति ही ऐसे काम करता है। अब यह व्यक्ति छलांग लगा चुका है और डूब रहा है, उसे निकालना है। वो मेरे पास आया है । जबतक आपको यह नहीं पता कि इस प्लांट की मशीनें कैसी हैं? क्या इनसे काम चलाया जा सकेगा? कहीं इनका ओवर हेड ज्यादा तो नहीं आएगा? आपने पुराना प्लांट क्यूँ खरीदा? पहले किसी ज्ञाता डेयरी कॉनसल्टेंट से राय तो ले लिया होता। आप जब छलांग लगा ही चुके हैं तो डेयरी कॉनसल्टेंट आपको कितना बचा पाएगा। डूबना तो निश्चित ही है। आगे चलकर वह प्लांट पुनः ऑक्शन पर गया और आधे दाम पर बिका, अभी भी उसकी लागत से ज्यादा धन लगाकर भी उसे लाभ में नहीं चलाया जा सका है। कृपया ऐसा उत्साह डेयरी व्यवसाय के लिए न दिखाएं।


14) ज्यादा दाम देकर हम किसानों से दूध खरीद लेंगे: (भ्रम 14): विश्वास करें, उत्पादकों से दूध खारीदने के लिए रिश्ते बनाने पड़ते हैं, उसके लिए आपका लोकल होना आवश्यक होता है, या आपका कोई प्लांट या आफिस या अन्य मशीन आदि का उस क्षेत्र में होना आवश्यक होता है, तभी उत्पादक आप पर भरोसा करके दूध आपको देगा। बाहरी एक अनजान संस्था या व्यक्ति को उत्पादक अपना दूध नहीं बेंचता, क्यूंकि बहुत लोग दूध लेते हैं और 10-12 दिनों बाद भाग जाते हैं । उत्पादक आजकल बहुत सजग रहते हैं। फिर उपार्जन व्यवसाय में "फील्ड ओपरेशन" ऐसा एक मशीनों से भरा तकनीकी व्यवस्था होता है, जो सरल नहीं होता । आप भ्रम न पालें, आप दूध का दाम ज्यादा नहीं दे पाएंगे, आपका आर्थिक संतुलन बिगड़ जाएगा।


15) हमारा डेयरी फार्म मजदूर चला लेंगे: (भ्रम 15): यह गलती अकसर लोग करते हैं। अकसर पूर्वी भारत से आए मजदूर डेयरी फार्म चलाने के लिए तैयार रहते हैं, परंतु वे प्रशिक्षित नहीं होते। ज्यादा से ज्यादा वो पुराने ढर्रे पर आपका फार्म एक खटाल की तरह ही चला पाएंगे, एक तकनीकी फार्म की तरह नहीं। उनके अनुसार पशु जब दूध में है तबतक उसे गाभिन नहीं करवाना चाहिए। जो सरासर गलत धारणा है। ये मजदूर कई ऐसे गलत धारणाओं से घिरे रहते हैं। यदि ये मजदूर सफल तकनीकी-व्यावसायिक डेयरी फार्म चला पाते तो आज देश में अच्छे सुनियोजित अनगिनत डेयरी फार्म होते। आप इनपर भरोसा न करें।


दूध को "सफेद सोना" कहा गया है। यदि आप दुहान और पशुओं को खिलाने के समय फार्म पर मौजूद नहीं हैं या फार्म पर आपकी चौकसी नहीं है तो आप अवश्य नुकसान उठायेंगे। दूध में मिलावट हो जाएगा, आपको पता भी नहीं चलेगा।


उत्पादन व्यवसाय में उत्पादकों से दूध खरीदते समय या दुग्ध वाहन के रास्ते में यदि आपने मशीनों का उपयोग करके चौकसी नहीं रखी तो आपको नुकसान उठाना पड़ेगा। दूध बदल जाएगा और यह दूध डेयरी में जाकर रिजेक्ट हो जाएगा। आप उस दूध से लाभ नहीं कमा पाएंगे। आप कृपया भ्रम न पालें अपना व्यवसाय खुद ही चलाना पड़ता है।


16) धन खर्च करना आपको आता है: (भ्रम 16): यह भी एक बड़ा भ्रम है। ज्यादातर लोग पूरा ऑटोमैटिक फार्म या एप के आधार पर दुग्ध उपार्जन अथवा डेयरी फार्म व्यवसायों की बात करते हैं। उन्हें यह भी नहीं पता होता है कि डेयरी व्यवसाय में औटोमशन कितना और कब चाहिए होता है। वो ये भी नहीं जानते कि किस कार्य को पहले और किसे बाद में किया जाना चाहिए। वो पहले ऐसे कार्यों पर धन खर्च कर देते हैं, जिसपर नहीं करना चाहिए, और बाद में आवश्यक कार्य के लिए धन की कमी के कारण फार्म या दुग्ध उपार्जन का व्यवसाय नहीं चला पाते।


कलकत्ता से एक नये व्यवसायी हमारे पास उपार्जन व्यवसाय के लिए आए। आने से पहले वे 2.5 लाख रुपये एक “मार्केटिंग-एप” के लिए भुगतान कर चुके थे, एप 6 लाख का था। उन्हे समझाया गया था कि दूध तो आपको आसानी से मिल ही जाएगा, उसकी मार्केटिंग बहुत मुश्किल है अतः उसकी व्यवस्था आप एप से कर लें, उन्होंने कर लिया। "भला कलकत्ते जैसे विशाल मार्केट में उनका 2000-लीटर दूध बेचना कितना मुश्किल था", ये हम सब समझ सकते हैं, कि इतना दूध तो एक छोटे कस्बे में बिक जाता है, कलकत्ते में भला कैसे नहीं बिक पता? उन्हें यह भी नहीं मालूम था कि कलकत्ते जैसे बड़े बाजार के लिए दुग्ध उपार्जन करना अति कठिन काम होगा, क्यूंकि वहाँ कॉम्प्टीशन बहुत ज्यादा होगा, दूर से दूध उपार्जन करना पड़ेगा, जिसपर लागत ज्यादा आएगी। इन्हीं भ्रम के कारण आज तक उनका दुग्ध उपार्जन व्यवसाय शुरू नहीं हो पाया। यहाँ किसे दोष दिया जाए? धन को हमेशा पूर्व नियोजन के अनुसार ही खर्च करना उचित होता है।

17) हमको डेयरी व्यवसाय का नियंत्रण आता है: (भ्रम 17): आप यदि नए डेयरी व्यवसायी हैं, कोई ट्रेनिंग नहीं लिए हैं, या पहले से इस व्यवसाय का अनुभव नहीं है, तो निश्चिंत रहें आप भ्रम में हैं। यह विद्या केवल उसे आती है जिसने अपने हाथ दूध-व्यसाय में डुबोए हों। अकसर लोग अपने फार्म या उपार्जन का संरक्षण और नियंत्रण मजदूरों अथवा गाँव के किसी व्यक्ति, या अपने किसी कर्मचारी पर छोड़ देते हैं। विश्वास करें आपका व्यवसाय दूसरा कभी नहीं चलायेगा । वो आपके व्यवसाय को डूबा देगा, अपना उल्लू सीधा करेगा, चलता बनेगा। आपको तब पता चलेगा जब आप डूब चुके होंगे। सूट-बूट-टाई पहनकर दूर बैठे लैपटॉप (वर्क-फ्रॉम-होम) से यह व्यवसाय नहीं चलता। पशुओं, किसानों, मशीनों, मजदूरों और उपभोक्ताओं के पास खुद जाना पड़ता है, समय देना पड़ता है । डेयरी व्यवसाय एक ब्राउन कॉलर व्यवसाय है।


18) पशुओं को क्या खिलाना है हमें पता है : (भ्रम 18): फिर आप एक दूसरे भ्रम में हैं। हमें एक HR हेड के डेयरी फार्म खोलने के लिए प्रोजेक्ट बनाने को कहा गया। जमीन 2 एकड़, पशु 50-60, सभी गायें। सज्जन व्यक्ति थे, मैंने बताया कि आप कृपया सजग रहें, हमसे सारी बात बताते रहे, मैं आपको रास्ते बताता चलूँगा। उन्होंने हमें फीस दिया प्रोजेक्ट रिपोर्ट और layout बनवाया और चले गए । अचानक 7 महीने बाद आए और हमें फार्म लेकर गए, कि हमारी गायों में कोई बीमारी आ गई है, आप देख लीजिए। जाकर देखा तो पता चला; (a) उन्होंने पुरानी 20 गायें किसी बंद होते हुए फार्म से खरीद लीं थीं और अपना फार्म चालू कर दिया था (b) कई गायों में टी बी के लक्षण थे (c) उनके गोबर में पूरा पूरा मक्का निकल रहा था, गोबर ढीला आता था-(उन्हे पूरा पूरा मक्का खिलाया जाता था, मक्के को कूट-पीस कर नहीं) (d) पूरा दाना नहीं खिलाने की वजह से गायें कमजोर थीं। (e) हरा चारा था नहीं, केवल सूखा मक्के का डंठल खिलाया जा रहा था। (f) वो खुद फार्म से 40 किमी दूर शहर में रहते थे, सप्ताह में एक दिन फार्म जाते थे, गाँव के सरपंच को फार्म का प्रवंधन सौंप दिया था। आप बताएं यहाँ किसका दोष था? डेयरी व्यवसाय का या उस सज्जन व्यक्ति का।


एक और उदाहरण: यू-ट्यूब पर कई ऐसे विडिओ मिल जाएंगे जो 25% या 30% प्रोटीन के कैटिल फ़ीड बनाने के लिए फार्मूला बताते हैं। आप पशु-न्यूट्रीशन के किसी जानकार से पूछ कर देखें, आपको पता चल जाएगा कि दुधारू पशुओं के लिए अधिकतम कितना % प्रोटीन का कैटिल फ़ीड खिलाना चाहिए? यदि ज्यादा % प्रोटीन का कैटिल फ़ीड खिलाया गया तो पशु को किस प्रकार से अनुकसान होगा?


यदि कोई व्यवसायी इन जानकारियों के आधार पर अपना व्यवसाय चलाने पर उतारू हो तो डेयरी में नुकसान को कैसे बचाया जा पाएगा? कौन सी कॉनसल्टेंसी सहायक होगी भला? फार्म बंद हो जाएगा, पशु बिक जाएंगे जब आप भ्रम के आधार पर व्यवसाय चलाने का निर्णय ले लेंगे।

19) डेयरी व्यवसाय चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है-हमें पता है: (भ्रम 19): आप पुनः एक भ्रम में हैं। डेयरी व्यवसाय के लिए 4 प्रकार के धन कि व्यवस्था करनी पड़ती है। (a) कपिटल (b) फिक्स्ड (c) रेकरिंग (d) वर्किंग। फार्म व्यवसाय में 80% धन जानवरों को खिलाने और प्रबंधन में खर्च होता है। ऐसे ही, उपार्जन व्यवसाय के लिए तीन माह का खर्च (उत्पादकों का भुगतान, वाहन खर्च, तनख्वाह, मेटेरियल, ऑफिस, आदि हेतु) चाहिए । दोनों प्रकार के व्यवसायों के लिए तीन माह के वर्किंग कैपिटल की व्यवस्था चाहिए। यदि वर्किंग कैपिटल की व्यवस्था न हो तो इस व्यवसाय में न जाएँ। कर्जपर धन लेकर डेयरी चलाएं परंतु, सभी देनदारियों को निकाल कर लाभ की स्थिति में रहें तभी चलाएं। इसका आँकलन अवश्य पहले से किसी जानकार डेयरी कंसल्टेंट से करवा लें, कि आपका खर्च और रेवेन्यू कितना होगा, देनदारियाँ कितनी होंगी, टैक्स कितना जाएगा, शुद्ध लाभ कितना होगा, आदि।


20) डेयरी व्यवसाय के लिए क्या क्या आवश्यक होता है हमें सब पता है: (भ्रम 20): शायद आपको पता हो, पर नए डेयरी व्यवसायी को बिल्कुल नहीं पता रहता है। यदि आप नए डेयरी व्यवसायी हैं और लगता है कि आपको पता है तो आप भ्रम में हैं। फार्म व्यवसाय हेतु: जमीन, समुचित धन, विश्वासपात्र व्यक्ति, ट्रैन्ड तथा स्किल्ड लेबर, प्रारम्भिक मशीनें, दुधारू पधु, फार्म से लगा बाज़ार, आदि की आवश्यकता होती है। उपार्जन व्यवसाय हेतु: समुचित धन, उत्पादकों का संगठन और सहयोग, लोकल प्रभावी व्यक्तियों का सहयोग, ज्यादा मशीनें, क्वालिटी लैब, एकाउंट, कड़ा प्रबंधन और विपणन आदि की आवश्यकता होती है। जिसकी जानकारी (आपके व्यवसाय के विषय में पूरी जानकारी लेने के बाद) कोई ज्ञाता डेयरी कॉनसल्टेंट ही दे सकता है, गूगल नहीं।


ऐसा नहीं कि सभी लोग अनजान ही होते हैं, कुछ गिने चुने लोग जानकार भी मिलते हैं, परंतु ज्यादातर अनजान और मीडिया से प्राप्त गलत जानकारी से ओत-प्रोत ही हमें मिले। कृपया आप अपना धन अन्यथा व्यर्थ ना करें, किसी ज्ञाता डेयरी कॉनसल्टेंट से संपर्क कर लें, पूरे समय के लिए नहीं तो समय-समय पर तो अवश्य राय ले लिया करें, परंतु बिना राय लिए, डेयरी व्यवसाय में न जाएँ, जानाभी पड़े (यदि कोई मजबूरी हो) तो शुरू में किसी ज्ञाता डेयरी कॉनसल्टेंट से बात जरूर करें और उनकी फीस दें, वो अपने फीस से कई गुना आपका धन बचाने में आपकी सहयाता करेंगे।भ्रम में रहकर डेयरी व्यवसाय में ना जायें। जब जब आपको भ्रम सताये तो ये आर्टीकिल पढ़ लिया करें और किसी ज्ञाता डेयरी कॉनसल्टेंट से बात करें, वो आपका भ्रम दूर कर देगा और सही मार्ग दिखाएगा। आप कभी भी हमसे अपने भ्रम दूर करने के लिए संपर्क कर सकते हैं।

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Writer:

Dr PK Shrivastava

Dairy Business Consultant

M/s Dairy Consultancy, Bangalore, India

www.dairyconsultancy.in

Ph: +91 8073147467

Email: pkshrivastava54@gmail.com




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